Wednesday, September 15, 2010

निदा फाजली - चुनिन्दा दोहें

पेश है निदा फाजली साहब के कुछ  चुनिन्दा दोहें :
 
मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दिल ने दिल से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार


छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार
आँखों भर आकाश है बाहों भर संसार


बच्चा बोला देखके मस्जिद आलिशान
अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान


सातो दिन भगवान के, क्या मंगल क्या पीर
 जिस दिन सोये देर तक ,भूखा रहे फकीर

चाहे गीता बाचिये या पढ़िये क़ुरान
मेरा तेरा प्यार ही हर पुस्तक का ज्ञान

कुछ और दोहें  सुनिए उन्हीं  की जुबान से ..... :

11 comments:

  1. सातो दिन भगवान के, क्या मंगल क्या पीर
    जिस दिन सोये देर तक ,भूखा रहे फकीर

    चाहे गीता बाचिये या पढ़िये क़ुरान
    मेरा तेरा प्यार ही हर पुस्तक का ज्ञान

    बहुत ही कमाल के शायर हैं

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  2. सीधा साधा डाकिया.. जादू करे महान..

    एक ही थैले में भरे आंसू और मुस्कान..

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  3. आनन्द आ गया..आभार.

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  4. दुःख के सरे पर्वत मधुकर जब सर पर लिए उठाये
    विष सारे संसार का पीकर नीलकंठ कहलाये

    ओम् नमः शिवाय
    नरेश 'मधुकर'

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  5. निदा फाज़ली साहेब एक ऐसे शायर है जिनकी नज्में हमेशा इंसान को ताज़ा रखतीं हैं ..जिंदाबाद निदा साहेब

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  6. बेहतरीन प्रस्तुति...


    चाहे गीता बाचिये या पढ़िये क़ुरान
    मेरा तेरा प्यार ही हर पुस्तक का ज्ञान

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  7. This comment has been removed by the author.

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