Tuesday, September 14, 2010

निदा फाजली की प्रसिद्ध ग़ज़ल ' आदमी'

पेश है निदा फाजली की प्रसिद्ध ग़ज़ल ' आदमी'



हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी,
फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी,

सुबह से शाम तक बोझ ढ़ोता हुआ,
 अपनी लाश का खुद मज़ार आदमी,

 हर तरफ भागते दौड़ते रास्ते,
 हर तरफ आदमी का शिकार आदमी,

 रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ,
 हर नए दिन नया इंतज़ार आदमी,

 जिन्दगी का मुक्कदर सफ़र दर सफ़र,
 आखिरी साँस तक बेकरार आदमी

10 comments:

  1. हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी,
    फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी,
    Bahut Khoob

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  2. बहुत बढ़िया प्रस्तुति|

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  3. रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ,
    हर नए दिन नया इंतज़ार आदमी,

    निदा फाजली साहब की मशहूर गजलों में से एक...बहुत खूब

    http://veenakesur.blogspot.com/

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  4. धन्यवाद्

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  5. बहुत बढ़िया प्रस्तुति!

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  6. बहुत बढ़िया प्रस्तुति

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  7. bahut badhiya...
    behtareen....

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  8. नमस्कार ! आपकी यह पोस्ट जनोक्ति.कॉम के स्तम्भ "ब्लॉग हलचल " में शामिल की गयी है | अपनी पोस्ट इस लिंक पर देखें http://www.janokti.com/category/ब्लॉग-हलचल/

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  9. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  10. MASZID KI BARADARI KE WASTE BE-DAR-O-DEEVAR GHAR N KEEGIYE.
    BANDGI KA HAI YAHI PAHLA SABAK; Aadmi se piyar darna seekhiye.

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